
US Student Visa Cancellation की खबर ने इन दिनों अंतरराष्ट्रीय छात्रों, विशेष रूप से भारतीय छात्रों के बीच हलचल मचा दी है। हाल ही में कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र महमूद खलील का केस सुर्खियों में है, जिनका ग्रीन कार्ड रद्द कर अमेरिका से Deportation की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। महमूद खलील की गिरफ्तारी और उनके स्टूडेंट वीजा रद्द करने के आदेश के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में और भी स्टूडेंट वीजा रद्द किए जाएंगे।
क्यों बढ़ी US Student Visa Cancellation की संख्या?
US Student Visa Cancellation की ताजा लहर की शुरुआत महमूद खलील के केस से हुई, जिन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में गाजा पट्टी में चल रहे इजरायल युद्ध के विरोध में प्रदर्शन किया था। हालांकि खलील अमेरिका के परमानेंट रेजिडेंट हैं और उनके पास ग्रीन कार्ड है, फिर भी उन्हें डिपोर्ट किया जा रहा है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने साफ कहा कि ग्रीन कार्ड होल्डर को अमेरिका में रहने का कोई अधिकार नहीं है। यही वजह है कि स्टूडेंट वीजा और ग्रीन कार्ड होल्डर्स अब दहशत में हैं कि कहीं उनके साथ भी ऐसा न हो।
यह भी देखें: लखनऊ-नोएडा ही नहीं! इन यूपी के शहरों में जमीन खरीदी तो 5 साल में बन जाएंगे करोड़पति – अब नहीं तो कभी नहीं!
अमेरिकी सरकार का रुख और आने वाले दिनों की आशंकाएं
G7 विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पत्रकारों से स्पष्ट कहा कि US Student Visa Cancellation की प्रक्रिया और तेज होगी। उनका कहना है कि ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है, जिन्हें अमेरिका में प्रवेश नहीं देना चाहिए था। यह बयान अमेरिका में रह रहे हज़ारों स्टूडेंट्स और ग्रीन कार्ड होल्डर्स के लिए चिंता का सबब बन गया है।
सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति का हवाला देकर किसी भी अप्रवासी के खिलाफ कार्रवाई करना अब कोई नई बात नहीं रही। कानूनी जानकारों के अनुसार, सरकार के पास ऐसे कानून हैं, जिनके जरिये वह किसी भी अप्रवासी को बिना स्पष्ट कारण के भी डिपोर्ट कर सकती है। यही वजह है कि अब स्टूडेंट वीजा और ग्रीन कार्ड होल्डर्स को सतर्क रहने की जरूरत है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय: स्टूडेंट्स और ग्रीन कार्ड होल्डर्स के लिए चेतावनी
San Francisco University के प्रोफेसर बिल हिंग जैसे कई कानूनी विशेषज्ञ इस घटनाक्रम को चिंताजनक मानते हैं। उनके अनुसार, सरकार का राजनीतिक सक्रियता को विदेश नीति के लिए खतरा मानकर कार्रवाई करना एक खतरनाक मिसाल बन सकता है। यदि यही रुख जारी रहा, तो किसी भी स्टूडेंट वीजा या ग्रीन कार्ड होल्डर को अपनी राय व्यक्त करने पर डिपोर्ट किया जा सकता है।