5 साल में हाईवे नहीं बना तो किसानों की जमीन वापस! सरकार के नए NH एक्ट पर मचा बवाल!

5 साल में हाईवे नहीं बना तो किसानों की जमीन वापस! सरकार के नए NH एक्ट पर मचा बवाल!
5 साल में हाईवे नहीं बना तो किसानों की जमीन वापस! सरकार के नए NH एक्ट पर मचा बवाल!

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम-National Highway Act में एक बड़ा संशोधन प्रस्तावित किया है, जिसने किसानों और जमीन मालिकों के बीच हलचल मचा दी है। नए प्रस्ताव के मुताबिक, अगर अधिग्रहित भूमि पर 5 साल के भीतर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं होता, तो वह जमीन उसके मूल मालिकों को लौटा दी जाएगी। इसका स्पष्ट उद्देश्य है भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाना, ताकि अनावश्यक देरी और मुआवजे से जुड़े विवादों को समाप्त किया जा सके।

यह संशोधन राष्ट्रीय राजमार्ग-National Highway परियोजनाओं की गति को बढ़ाने और किसानों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। खासतौर पर, जिन किसानों की जमीन सरकार ने अधिग्रहण की है और जिनके वर्षों तक प्रोजेक्ट शुरू नहीं होते, उनके लिए यह राहत की खबर है।

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नए संशोधन की मुख्य बातें

प्रस्तावित नए नियमों के मुताबिक, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में मुआवजे-Compensation की घोषणा के तीन महीने के भीतर ही आपत्तियाँ दर्ज की जा सकेंगी। इसके बाद कोई आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। इससे पहले, अधिग्रहण के बाद भी लंबे समय तक मुआवजे या उपयोग को लेकर विवाद सामने आते थे, जिससे परियोजनाओं में देरी होती थी।

सरकार अब रेलवे, एयरपोर्ट और अन्य ट्रांसपोर्ट मोड्स के इंटरचेंज को भी राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर सकेगी। इससे बड़े-बड़े कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को आसान तरीके से लागू किया जा सकेगा। साथ ही, एक विशेष डिजिटल पोर्टल के ज़रिए भूमि अधिग्रहण से जुड़ी सभी सूचनाएँ सार्वजनिक की जाएंगी। यह पारदर्शिता बढ़ाने और किसान या जमीन मालिकों को समय पर सूचना देने में मदद करेगा।

किसानों और भूमि मालिकों को क्या फायदा?

सरकार की इस नई पहल का सीधा फायदा उन किसानों को होगा, जिनकी जमीनें वर्षों से अधिग्रहित होकर बेकार पड़ी थीं। यदि 5 वर्षों में हाईवे-Highway परियोजना शुरू नहीं होती, तो वे अपनी जमीन पुनः हासिल कर सकते हैं। इससे न केवल किसान अपनी संपत्ति वापस पा सकते हैं, बल्कि अपनी भूमि का वैकल्पिक उपयोग भी कर सकते हैं।

मुआवजे और अधिग्रहण प्रक्रिया को सीमित समय में निपटाने से किसान अपने भविष्य की योजनाएँ स्पष्ट रूप से बना सकेंगे। इससे कृषि क्षेत्र में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सरकार का उद्देश्य

सरकार इस संशोधन के जरिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्रोजेक्ट्स में तेज़ी लाना चाहती है, ताकि अधिग्रहित जमीन वर्षों तक बेकार न पड़े और किसानों का भरोसा बना रहे। मुआवजे और प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए डिजिटल पोर्टल, सीमित समय में आपत्तियों का निवारण और समयसीमा में प्रोजेक्ट शुरू न होने पर भूमि वापसी का प्रावधान, सरकार की स्पष्ट नीति को दर्शाता है।

सरकार द्वारा प्रस्तावित यह संशोधन राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। किसानों और जमीन मालिकों के लिए 5 साल के भीतर प्रोजेक्ट शुरू न होने पर भूमि वापसी का प्रावधान एक पाज़िटिव स्टेप है। इससे न केवल भूमि अधिग्रहण के विवादों में कमी आएगी, बल्कि देश की परियोजनाओं में भी तेज़ी आएगी।

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