इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) पल्सेस कॉन्क्लेव 2025

इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) पल्सेस कॉन्क्लेव 2025
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) पल्सेस कॉन्क्लेव 2025

इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) ने 12 से 14 फरवरी 2025 के बीच नई दिल्ली के भारत मंडपम, प्रगति मैदान में ‘द पल्सेस कॉन्क्लेव 2025’ का आयोजन किया। यह आयोजन भारत में दालों के व्यापार, उत्पादन और उपभोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। इस इवेंट ने न केवल उद्योग के विशेषज्ञों को एकत्र किया बल्कि वैश्विक व्यापारियों और नीति-निर्माताओं को भी एक साथ लाने में अहम भूमिका निभाई।

थीम और उद्देश्य

इस वर्ष के पल्सेस कॉन्क्लेव की थीम ‘समृद्धि के लिए दालें – स्थिरता के साथ पोषण’ थी। इस थीम का मुख्य उद्देश्य भारत को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए नवीनतम तकनीकों और सरकारी योजनाओं को सामने लाना था। दालों की स्थिर और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, सरकार और व्यापारियों के बीच सहयोग को मजबूत बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

उद्घाटन समारोह और प्रमुख हस्तियां

13 फरवरी को आयोजित उद्घाटन समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उनके साथ उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री प्रहलाद जोशी, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान, महाराष्ट्र के विपणन एवं प्रोटोकॉल मंत्री श्री जयकुमार रावल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी, उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव श्रीमती निधि खरे और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव श्री सुब्रत गुप्ता भी मौजूद थे।

भारत में दालों का उत्पादन और उपभोग

भारत में दालों की वार्षिक खपत लगभग 280-290 लाख टन है, जिसमें से 20-30 लाख टन आयात किया जाता है। बीते 10 वर्षों में, दालों का उत्पादन 117 लाख टन से बढ़कर 250-260 लाख टन तक पहुंचा है। सरकार की विभिन्न योजनाओं और समर्थन के कारण, देश में दलहन उत्पादन की वृद्धि देखने को मिली है।

व्यापार नीति और आयात विनियमन

सरकार ने हाल ही में पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात को फरवरी 2025 से आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य घरेलू किसानों के हितों की रक्षा करना और दालों के उत्पादन को बढ़ावा देना है। IPGA ने इस विषय पर भी चर्चा की कि कैसे व्यापार नीतियों में सुधार कर भारत को दालों के वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है।

तकनीकी नवाचार और कृषि सुधार

इस सम्मेलन में दालों के उत्पादन में तकनीकी नवाचारों और मूल्यवर्धित उत्पादों के विकास पर गहन चर्चा की गई। भारत के किसानों के लिए नई तकनीकों को अपनाने और कृषि क्षेत्र में आधुनिक सुधार लाने पर जोर दिया गया। स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकों और जैविक खेती के माध्यम से दालों की गुणवत्ता सुधारने के उपायों को प्राथमिकता दी गई।

अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और वैश्विक दृष्टिकोण

इस कॉन्क्लेव में 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें 800 से अधिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही। यह वैश्विक सहभागिता भारत के दाल व्यापार को एक नया आयाम देने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत बनाने और दालों के निर्यात को बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर चर्चा हुई।

इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) क्या है?

IPGA भारत में दालों और अनाजों के व्यापार, उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाला एक प्रमुख संगठन है।

‘द पल्सेस कॉन्क्लेव’ क्या है और इसका महत्व क्या है?

यह एक द्विवार्षिक आयोजन है जिसमें उद्योग विशेषज्ञ, नीति निर्माता और वैश्विक व्यापारी दालों के व्यापार और उत्पादन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

2025 के पल्सेस कॉन्क्लेव में क्या नई घोषणाएं हुईं?

सरकार ने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात को आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया, जिससे भारतीय किसानों को लाभ होगा। साथ ही, उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर बल दिया गया।

क्या भारत दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहा है?

जी हां, बीते दशक में दालों का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

‘द पल्सेस कॉन्क्लेव 2025’ भारत में दालों के व्यापार और उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। सरकार, व्यापारियों और किसानों के संयुक्त प्रयासों से यह सुनिश्चित किया गया कि भारत आत्मनिर्भर बने और वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति मजबूत करे। इस आयोजन ने न केवल दालों के व्यापार को दिशा दी, बल्कि कृषि में नवाचार और तकनीकी उन्नति को भी बढ़ावा दिया।

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