मसूर दाल के आयात पर 10% टैक्स लगाने का ऐलान, सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?

मसूर दाल के आयात पर 10% टैक्स लगाने का ऐलान, सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?
मसूर दाल के आयात पर 10% टैक्स लगाने का ऐलान, सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?

केंद्र सरकार ने मसूर दाल के आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिसमें 5 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क और 5 प्रतिशत एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (AIDC) शामिल है। यह निर्णय घरेलू दाल उत्पादन को बढ़ावा देने और दालों की कीमतों को संतुलित रखने के उद्देश्य से लिया गया है।

टैरिफ नीति में बदलाव क्यों?

सरकार समय-समय पर टैरिफ नीति में बदलाव कर दालों की कीमतों को नियंत्रित करने और घरेलू किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रयास करती है। दिसंबर 2023 में सरकार ने चना उत्पादन में गिरावट के कारण पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी थी, जिसे अब मई 2024 के अंत तक बढ़ा दिया गया है।

2024 में दालों का आयात कितना रहा?

भारत ने 2024 में कुल 67 लाख टन दालों का आयात किया, जिसमें 30 लाख टन पीली मटर शामिल थी। इस निर्णय का उद्देश्य घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना और दालों के बढ़ते आयात को नियंत्रित करना है।

एमएसपी पर दालों की खरीद जारी

15वें वित्त आयोग के 2025-26 तक के चक्र के दौरान प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना को जारी रखने की मंजूरी दी गई है। इसके तहत, किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर दालों की खरीद की जा रही है।

13.22 लाख मीट्रिक टन तुअर की खरीद को मंजूरी

सरकार किसानों की उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार ने खरीफ 2024-25 सीजन के लिए मूल्य समर्थन योजना के तहत आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में कुल 13.22 लाख मीट्रिक टन तुअर (अरहर) की खरीद को मंजूरी दी है। इस खरीद प्रक्रिया का संचालन केंद्रीय नोडल एजेंसियों नैफेड और एनसीसीएफ द्वारा किया जाएगा।

सरकार का उद्देश्य

इस नीति का मुख्य उद्देश्य दालों की घरेलू उपलब्धता को सुनिश्चित करना, किसानों को उचित मूल्य दिलाना और महंगाई को नियंत्रण में रखना है। मसूर दाल पर लगाए गए नए आयात शुल्क से स्थानीय किसानों को लाभ मिलेगा और वे अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित होंगे।

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